IPO: Friday को खुलेगा वेस्टर्न कैरियर्स का, सब्सक्रिप्शन लेने से पहले जानिए 10 बातें
कीमत बैंड, GMP समेत ये हैं वेस्टर्न कैरियर्स के IPO के बारे में 10 जरूरी बातें
वेस्टर्न कैरियर्स का IPO 23 दिसंबर को खुलेगा
लॉजिस्टिक कंपनी वेस्टर्न कैरियर्स का इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) इस हफ्ते शुक्रवार, 23 दिसंबर 2022 को खुलने जा रहा है. इस IPO के जरिए कंपनी 435 करोड़ रुपये जुटाने जा रही है. कंपनी के शेयर 29 दिसंबर को अलॉट किए जाएंगे और 30 दिसंबर यानि शुक्रवार को शेयरों की लिस्टिंग शेयर बाजारों (BSE और NSE) पर होने की उम्मीद है.
1750-1785 रुपये प्रति शेयर का प्राइस बैंड तय
वेस्टर्न कैरियर्स ने अपने IPO के लिए 1750-1785 रुपये प्रति शेयर का प्राइस बैंड तय किया है. निवेशक कम से कम 80 शेयरों (एक लॉट) के लिए बोली लगा सकते हैं. इसके बाद 80 शेयरों के मल्टीपल में बोली लगानी होगी.
ग्रे मार्केट में 10-15 रुपये का प्रीमियम
वेस्टर्न कैरियर्स के शेयरों को ग्रे मार्केट में 10-15 रुपये के प्रीमियम पर कारोबार करते हुए देखा जा रहा है. ग्रे मार्केट में कंपनी के शेयर 1790-1800 रुपये पर उपलब्ध हैं.
ब्रोकरेज हाउसों की मिली-जुली राय
ब्रोकरेज हाउसों की वेस्टर्न कैरियर्स के IPO पर मिली-जुली राय है. कुछ ब्रोकरेज हाउसों ने IPO को सब्सक्राइब करने की सलाह दी है तो कुछ ने इससे दूर रहने की सलाह दी है.
कंपनी के बारे में
वेस्टर्न कैरियर्स की स्थापना 1996 में हुई थी. कंपनी मुंबई से लेकर यमन और ओमान तक कंटेनरों और कार्गो की ढुलाई में लगी हुई है. कंपनी के पास 10,000 से ज्यादा कंटेनर और 1,000 से ज्यादा ट्रक हैं.
IPO से जुटाई गई रकम का इस्तेमाल
IPO से जुटाई गई रकम का इस्तेमाल कंपनी वर्किंग कैपिटल जरूरतों, कर्ज चुकाने और कॉर्पोरेट जरूरतों को पूरा करने में करेगी.
मजबूत वित्तीय प्रदर्शन
वेस्टर्न कैरियर्स का वित्तीय प्रदर्शन मजबूत रहा है. कंपनी का मुनाफा और रेवेन्यू पिछले कुछ सालों में लगातार बढ़ रहा है.
प्रमोटर्स बेचेंगे 25 फीसदी हिस्सेदारी
IPO के जरिए कंपनी के प्रमोटर्स करीब 25 फीसदी हिस्सेदारी बेचेंगे. IPO के बाद कंपनी में प्रमोटर्स की हिस्सेदारी 70.9 फीसदी रह जाएगी.
LIC और IIFL सिक्योरिटीज हैं लीड मैनेजर
वेस्टर्न कैरियर्स के IPO के लिए LIC और IIFL सिक्योरिटीज लीड मैनेजर हैं.
जोखिम
हर निवेश की तरह इस निवेश में भी जोखिम है. कंपनी के बिजनेस पर मंदी का असर, प्रतिस्पर्धा और रेगुलेटरी बदलावों का असर पड़ सकता है.
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